Monday, December 6, 2021

दो चहरे


जिंदगी में हर पल कुछ छूट रहा है, 
कुछ हिस्सों में दिल रोज़ टूट रहा है, 
कैसा अजीब शहर है ये, 
यहां हर कोई दो चेहरे लेकर घूम रहा है। 

दिखावे कि इज्ज़त, दिखावे कि दोस्ती, 
झूठा सा लग रहा है हर नया रिश्ता, 
यहां आम है बेवफाई का किस्सा, 
हर पल नए रंग दिखा रहा है जिंदगी का ये हिस्सा। 

रिश्तों की टोह लो तो लगता है पता, 
सत्ता का है खेल कहीं, 
तो कहीं नाम की है इच्छा, 
उम्र छोटी हो, चाहे अनुभव नया,
हर शक्स यहां बस खुद में है रमा।

यहां जिंदगी भाग नहीं रही, 
पर होड़ यहां भी है, 
बेफिक्री कि, दिखावे कि, पैसे कि होड़ 
शायद इसलिए दिखते नहीं लेकिन 
बेहद रूखे हैं यहां के लोग।  

दुनिया ये काफी अलग है, 
पता नहीं सही है या गलत है, 
आंखें यहां बार बार भर आती हैं, 
कभी दुख तो कभी अफसोस से भीग जाती हैं। 

सुलझाने चले थे जिस जिंदगी को
उसे नए मोड़ पर खड़ा पाया है, 
नए लोगों ने नए सवाल दिए हैं  
राह की तलाश में, खुद को और गुम पाए है, 
लगता है अब यही रास्ता मंजिल तक हमसाया है। 


Sunday, September 26, 2021

तू क्या है?

हर बात से पहले सोच कि तू क्या है,

हर ख्वाब से पहले सोच कि तू क्या है, 

अहल-ए-जहां में कई दावेदार आए गए, 

हर गुजारिश से पहले सोच कि तू क्या है।


लम्हें में गुम होना आसान है, 

खुद से रूठना भी मुमकिन है, 

लेकिन क्या खुद को पहचानने के लिए तू परेशान है? 

हर कदम से पहले सोच कि तू क्या है, 

हर कथन से पहले सोच कि तू क्या है।


ये जिंदगी मौके कई देगी तुझको, 
इन मौकों को भुना और सोच कि तू क्या है,
खुद को रोज दे नई चुनौतियां, 
हर चुनौती को पार कर सोच कि तू क्या है, 

न होना बदगुमान, खुद से रहना तू बहम, 
ऐसा कर मन कि उसमें रह न पाए कोई ग़म, 
हर पल में जान तू जीने का दम, 
जिसे हो ज़रूरत उसे लगा मरहम, 
फिर होकर खुद में गुम, सोच कि तू क्या है। 

हर दिन की सहर में सोच कि तू क्या है, 
हर शाम की शब में सोच कि तू क्या है, 
जोश से आगे बढ़ता चल और सोच कि तू क्या है, 
जिंदगानी के हर पल में सोच कि तू क्या है, 
बस रहमत है उस खुदा कि वरना तू क्या है।

Monday, September 6, 2021

तलाश

हर लहर को तलाश है किनारे की, 
हर नदी तलाश रही है अपना समंदर, 
हर दीवाने को तलाश है एक दिल की, 
तलाश में जो बेचैनी है न, 
उसको भी तलाश है, तलाश खत्म होने की,
किसी न किसी तलाश में सभी गुम हैं, 
सफर भी, मुकाम भी, इंतजार भी, मंजिल भी,  

हर किसी को तलाश है,  
खुशी की, साथ की, प्यार की,  
किसी को तारुफ़ की है तलाश,   
तो कोई तकदीर की तस्वीर में खुद को रहा तलाश। 

तमन्नाओं और ख्वाबों का हिस्सा बन्ना चाहता है कोई, 
तो किसी की ख्वाहिश है, तारीखों में तलाशा जाए,  
बस हो कुछ यूं कि हर तलाश जिंदगी के और करीब लाए, 
हर तलाश के बाद हम खुद को ज्यादा जान पाएं। 


  


Friday, August 13, 2021

आज़ादी


देश तो आज़ाद है मेरा..
लेकिन क्या होती है आज़ादी? 
क्या आज़ाद है देश का नौजवां?  
क्या आज़ाद है देश की बेटियां? 
क्या आज़ाद हैं हमारे सोच विचार? 
सोचिए तो ऐ- जनाब आखिर कितना आज़ाद 
है हिन्दोस्तान? 

संविधान पर अपने गर्व है मुझको, 
लेकिन क्या वाकई है "धर्म" की आज़ादी?  
कानून तो सारे हैं यहां, 
लेकिन क्या है बोलने की आज़ादी,  
हक मुझे हैं सब यहां, 
पर क्या मिल पाई है जात से आज़ादी? 
देश तो आज़ाद है मेरा, 
लेकिन कहां है असली आज़ादी?

स्कूल तो गली गली में हैं, 
लेकिन क्या सबको मिल रही है,  
पढ़ने की आज़ादी?
भुखमरी से आज़ाद नहीं हम, 
न है ग़रीबी से आज़ादी, 
सोच में जकड़ी आज़ादी, 
न्याय में जकड़ी आज़ादी,
बल में जकड़ी आज़ादी,  
देश तो आज़ाद है मेरा, 
लेकिन क्या है असली आज़ादी? 

कभी संस्कारों, कभी रिवाजों, 
कभी रिवायतों की भेंट चढ़ती है आज़ादी, 
कहीं बंधनों, कहीं जिम्मेदारियों के दायरों
में सिमटती रही है आज़ादी, 
कभी सोच, कभी ग़म, कभी प्यार में भी 
बंध रही है आज़ादी, 
देश तो आज़ाद है मेरा, 
लेकिन क्या होती है आज़ादी? 

 
 

Monday, July 26, 2021

आखरी पन्ना

कई लोग कहते हैं, 
आसमां से पानी प्यार की तरह बरसता है,
इस बात पर मुझे कम ही यकीन होता है, 
ये तो मोहब्बतों का मौसम है, 
फिर भी न जाने क्यों इस मौसम में, मेरा दिल रोता है,

एक खलिश सी है रुबरू, 
हर इच्छा, हर चाह को दबाना सीख गई हूँ, 
बारिश देख मुस्कुराना सीख गई हूँ, 
नम हुईं आंखों में भरे पानी को, 
बारिश के साथ बहाना सीख गई हूँ, 
खुद को कोस-कोस कर परेशान हूँ, 
अपने प्यार करने से हैरान हूँ,
पलकों के बांध अब आंसुओं को रोक नहीं पाते, 
खुद से किए वो वादे अब दिल हैं दुखाते, 
डर लगता है मुझे, बात वो कभी ज़ुबां पर न आ जाए, 
बनी बनाई जिंदगी पर कहर न ढा जाए। 
 
कई लोग कहते हैं, 
दोस्ती प्यार है, लेकिन उस इश्क का क्या करें 
जो खुद से बेज़ार है, 
सोचती हूं मैं,  ये कैसी चाहत है, कैसे जज़्बात हैं,
मेरी हर सोच से परे, कभी-कभी ये खुद से शर्मसार हैं, 
फिर सोचती हूं क्यों, इसमें शर्म की क्या बात है, 
एक अच्छे दोस्त की हर किसी को दरकार है, 
वो दोस्त जो रोने पर गले से लगा ले, 
वो दोस्त जो बातों बातों में हंसा दे, 
वो दोस्त जो अपनी सोच में जगह दे, 
वो दोस्त जो जज़्बात को जज़्बातों से समझे, 
मैं नहीं कहूंगी कि ऐसे दोस्त होते नहीं लेकिन,
ये दोस्ती खुशकिस्मतों को नसीब होती है शायद। 

कई लोग कहते हैं, 
मतलब के हैं दोस्त और मतलबी जमाना है,  
मैं मानती हूं कि यूं ही नहीं किसी ने साथ निभाना है, 
मैं जानती हूं काम निकल जाने के बाद, 
सब कुछ बदल जाना है, 
अपनी औकात खुद ही बनानी है, 
अपना दर्द खुद ही मुकाना है, 
फिर न जाने क्यों मेरे इन आंसुओं 
को ठिकाने की तलाश है, 
दोस्ती और इश्क के फसाने की आस है,
इस आस पर कब तक रहूंगी जिंदा मैं, 
मुझे अब जिंदगी के आखरी पन्ने का इंतजार है।  

Tuesday, July 20, 2021

आंखों की नमी


फिर हुईं आखें नम और प्यार याद आया,

दिल में छुपा के रखा, वो ख्याल याद आया,

इस दहलींज़ पर, अकेला, मेरा इंतजार है, 

मेरे प्यार को वहां से गुजरना भी नगवार है, 

फिर भी न जाने क्यों वो शक्स बार बार याद आया.   

बुनता है बेहिसाब जज़बातों की चादर ये दिल,

फिर जार जार रोता है ये दिल,

हुईं आखें नम और प्यार याद आया,

दिल में छुपा, वो इज़हार याद आया। 


अपने इश्क की सर ज़मीन तुमको मान लिया, 

अपनी हंसी, अपनी कमी तुमको जान लिया,

हां, हमारे रास्ते अलग हैं ये भी पहचान लिया। 

बस प्यार से चलती कहां है ये दुनिया, 

सिर्फ एहसासों से पिघलती कहां है ये दुनिया, 

चाहत के रास्तों पर हम ग़म से मयस्सर हैं, 

कोई हमसे भी टूट कर करे प्यार , 

ये ख्वाब हमारा, अरमानों के सर है।

फिर हुईं आखें नम और दिल को समझाया,

जिंदगी के इस पड़ाव पर कोई नहीं है तेरा हमसाया।    

 

Friday, July 9, 2021

ऐसा क्यों होता है


ऐसा क्यों होता है? वो आस पास है, 

फिर भी बहुत याद आता है।

ऐसा क्यों होता है? बात होती है, फिर भी 

खामोशी में कुछ दबा रहता है। 

ऐसा क्यों होता है? हर पल कुछ अधूरा सा 

लगता है।  

ऐसा क्यों होता है? उसके रंग हमारे लिए नहीं है,

ये एहसास घेर जाता है। 

ऐसा क्यों होता है?  ये प्यार सही ग़लत के दायरों में क्यों बंध जाता है? 

मुस्कुराहट, दो शब्द, कुछ पल और उसकी नज़रे इनायत,

कुछ ज्यादा तो नहीं मांग रहे, फिर भी ऐसा क्यों होता है,  

सूफी सा ये प्यार कुछ मांगता नहीं, जिससे भी होता है ये उसे बांधता नहीं, 

फिर भी ऐसा क्यों होता है? 

ऐसे प्यार को समझना इतना मुशकिल क्यों होता है? 



Monday, July 5, 2021

सफर खूबसूरत है, मंजल से भी


दिल के बंद दरवाज़े किर किरा कर खुले,

जिंदगी की तंग राहों पर कुछ फूल खिले,  

इश्क, प्यार और मोहब्बत की बातें हम करने लगे, 

कुछ साथ ऐसे मिले, जो नई उमंग जगा गए। 


अजनबी शहर, नए अंदाज़, कुछ भीगे अलफाज़

सुनसान राहों में वो गाने गुनगुनाने की आवाज़, 

कभी बारिश, कभी सुहानी हवा का चहरे पर वो एहसास, 

रास्ते में कभी ढेरों बातें, तो कभी बस सवाल एक आद,  

वो शहर घूमने घूमाने का जवां सा अंदाज़, 

बेतकलुफी से पार कर गया दिल के दरों दीवार। 


मैं सोचती थी, मुझमें जो इशक है उससे दिल-ए-ज़ार न होगा,  

प्यार जो ज़हन की गलियों में खोया है उसपर गौर न होगा,  

लेकिन, जिंदगी की डोर हमारे हाथ में नहीं, 

इस सफर की भोर हमारे हाथ में नहीं, 

तो अब कोई इश्तियाक, कोई इलतजा नहीं,  

इस खूबसूरत सफर को किसी मंजिल की चाह नहीं ।  



यकीन का सफर

समय हर पल समान नहीं होता,  

खुद पर यकीन का सफर आसान नहीं होता,

कई लम्हें ऐसे आएंगे ज़िंदगी में, जिनका कोई मुकाम नहीं होता,

यकीन उनपर करो जिन्हें तुम पर भरोसा है, 

भरोसा ख़ुद पर करो, ताकत बनता है, 

सफर ज़िंदगी का तभी तो जहां- नुमा बनता है। 


तैयार रहो पग-पग पर जंग होगी, 

यकीन के सफर की हर राह तंग होगी, 

रिश्तों के भंवर पैरों को जकड़ेंगे, 

समाज के कायदे हर कदम को पकड़ेंगे, 

ऐतबार बस खुद पर करना तुम, 

प्यार पहले खुद से करना तुम, 

सूफी भी बनाएगा ये यकीन का सफर, 

परवाज़ बन कर बेझिझक बढ़ना तुम।  


जो साथ दें उनपर न्यौछावर होना, 

जो न समझें उनके लिए मत रोना, 

जिंदगी क्या है चंद लम्हों की जागीर है, 

अपनी झोली को यादों से भरना, 

गम न करना किसी के बिछड़ने का, 

हर कोई लेकर आता है समय गिनती का, 

खुद के दायरों से हमें खुद ही है जीतना  

तभी तो बनेगा सफर यकीन का। 







Tuesday, June 29, 2021

ये कैसा इश्क


धड़कनो का तेज़ होना पहली बार जाना है, 

इंतज़ार की इंतहां को पहली बार पहचाना है,

मन कुछ इस तरह से हारा है, 

न जाने किस मुशकिल की ओर इशारा है, 


तुम्हारी खुशबू  हर तरफ से आ रही है, 

मेरी मौजूदगी तुम्हारा अक्स चाह रही है, 

तुम्हारे आसपास होने से, अपने वजूद का एहसास होता है, 

अब धीरे धीरे खुद से प्यार हो रहा है।  

बात शादय न हो कुछ खास करने को,  

तेरा सामने बैठना ही बहुत है सांस भरने को, 

आखों को तेरी आदत सी हो गई है,  

मेरी राहों को तुम्हारी चाहत सी हो गई है,  

कहां ले जाएगा ये दिल न जाने, 

मीठी सी उलझन की आहट सी हो गई है, 


तुम खुश हो तो खुश रहता है मन, 

तुम्हें उदास देख, डूबती है हर धड़कन, 

जुंबा पर कभी नहीं आएगा ये ऐसा इश्क है, 

पन्नों में दबा रह जाएगा ये ऐसा इश्क है, 

खुद से पूछते हैं हम ये कैसा इश्क है? 

दुआ बन जाएगा ये ऐसा इश्क है।

Saturday, June 19, 2021

आंसू

मुझसे इन आंसुओं कि वजह न पूछो,

ये बिना इजाज़त ही छलक जाते हैं, 

तुम्हारे साथ होने पर भी तुम्से दूर होने का गम मनाते हैं, 

इनको रोकती हूं, समझाती हूं, 

लेकिन मन से बार बार हर जाती हूं, 

जानती हूं, न ये फासलों को 

मिटा पाएंगे, न जिंदगी की कशमकश को 

सुलझा पाएंगें, बस बहते जाएंगे। 


मुझसे इन आंसुओं कि वजह न पूछो, 

ये मेरे दिल की जुबां भी न बन पाएंगे, 

गलत, सही की समझ नहीं है इन्हें, 

ये मेरे हाल पर बस तरस खाएंगे, 

ये आंसू मेरे बस बहते जाएंगे, 

खुशी में मेरे दिल का साथ निभाएंगे, 

तुमहारे साथ होने के, हर पल को ये मनाएंगे। 

 

मुझसे इन आंसुओं कि वजह न पूछो, 

तुमने जो एहसास जगाएं हैं ये उनको जी रहे हैं, 

दिल की हर धड़कन के साथ ये दुआ दे रहे हैं,  

सिर्फ आंखों से छलका पानी नहीं हैं ये,  

तुम्हें बुलंद परवाज़ देखने के जज़्बात हैं, 

मुझसे मेरे आंसुओं की वजह न पूछो......

 




एहसास


ज़िन्दगी के रास्ते में एक एहसास मिला, 

एहसास जो बेहद अपना सा लगा, 

इसे अपना ले ये मन ने कहा,  

बिना किसी बंधन में न बांधे, 

वो एहसास पल पल में उतरने लगा। 


पाकीज़ा सी दोस्ती का एहसास, 

बचपन की मासूमियत है इसमें,

जवानी का अल्हड़पन,  

जूनून नहीं कोई, एक शांत सा समंदर,

इसे कोई नाम कैसे दे दूं, 

इसे किसी सोच से कैसे बांध दूं,

एक एहसास है ये, डूबने के लिए खास है ये,  


इस एहसास से जब राब्ता हुआ, 

खुद पर फिर से यकीन हुआ,

नहीं जानती ये क्यों हुआ, 

सही हुआ या गलत हुआ, 

अब जो हुआ सो हुआ। 


देख कर उसे आंखों को सूकून मिलता है, 

कुछ उसकी सुनने, कुछ अपनी कहने का जी करता है,

कभी बस साथ गुनगुनाने का जी करता है,

समाज की सभी बंदिशों से परे,

सब कुछ भूल जाने का जी करता है,

एहसास का रूप होता है ये जाना नहीं था,

जब मुलाकात हुई तो कुछ देर तक माना नहीं था,

लेकिन इस एहसास ने जिंदगी को ऐसे छुआ, 

धड़कने का एहसास फिर दिल को हुआ। 


Thursday, May 27, 2021

पहचान!

एक सननाटा सा पसरा है
हर तरफ एक बेबसी सी है
चले थे हम अपनी पहचान बनाने 
खड़ें हैं आज एक नए जहां में

ये क्या है जो घट रहा है 
इंसान का वजूद नमुकमल लग रहा है
बिखरे बिखरे ख्वाब हैं और बिखरे बिखरे जज़बे
हर तरफ अफरा तफरी सी है
एक बेचैनी सी है

कोई ठीक नहीं, कोई गलत भी नहीं 
कोई अलग नहीं, कोई साथ भी नहीं
बेरुखी सी है वक्त में
खुश रहने की बात भी बेमानी सी है

कहां खड़े हैं कुछ पता नहीं
कहां को जाएंगे जानते नहीं 
भटकी सी रूह
भटकी सी पहचान
भटका सा मन

खुद के अस्तित्व की खोज में 
खुद ही से लड़ रहे हैं हर रोज़ में
किस पहचान को बनाए रखने की कोशिश में हैं
किस जहान को सजाए रखने की कोशिश में हैं
क्या रिश्ते समेटने से पहचान बनी रहती है?
या नाम जोड़े रखने से पहचान बनी रहती है?

नाजुक सी डोर है ये जीवन, इसे जीने की तू कोशिश कर 
जो घटना है वो घटेगा, ये समझने की तू कोशिश कर
किस पहचान की चाह में है मन 
मिलना तो मिट्टी में है हर कण ......... 






Monday, March 29, 2021

MY PARENTS

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Feel of cool breeze in the summer heat, 
Being with them is such a treat. 
They know what you want, they know what you need, 
You are the book that they read. 
Never did they burden us with their dreams, 
They only focused on making us good human beings, 
We learnt to adjust, we learnt to give, we learnt to love, 
We learnt to live and let live. 

They were there when we cried for the first time, 
They sang with us, they played with us, 
They dressed us well, they fed us better, 
He would show faith, 
In every step we take, 
When we fell, we were lovingly held,
I know freedom because of them, 
I know courage because of them,
They have been my pillar of strength. 

There were times when we could barely make ends meet, 
They still taught us to help those in need, 
There were times when our future was at stake,
She stood like a wall that no one could break,
They stood by me in thick and thin
They supported me in all my deeds,

 
They backed us even when we were against the norm,
Going against the general beliefs,
Girls could do everything; that's what he made us believe.
They made us independent, 
They made us strong, 
They only focused on making us good human beings, 
My Parents are gems absolutely unique.