RUH-E-ZINDAGI
कुछ लमहे, कुछ किस्से, कुछ अलफाज़, वक्त की हर ताल और हर साज़ को महसूस कर लिखी कुछ कविताएं
Monday, December 6, 2021
दो चहरे
Sunday, September 26, 2021
तू क्या है?
हर ख्वाब से पहले सोच कि तू क्या है,
अहल-ए-जहां में कई दावेदार आए गए,
हर गुजारिश से पहले सोच कि तू क्या है।
लम्हें में गुम होना आसान है,
खुद से रूठना भी मुमकिन है,
लेकिन क्या खुद को पहचानने के लिए तू परेशान है?
हर कदम से पहले सोच कि तू क्या है,
हर कथन से पहले सोच कि तू क्या है।
इन मौकों को भुना और सोच कि तू क्या है,
खुद को रोज दे नई चुनौतियां,
हर चुनौती को पार कर सोच कि तू क्या है,
न होना बदगुमान, खुद से रहना तू बहम,
ऐसा कर मन कि उसमें रह न पाए कोई ग़म,
हर पल में जान तू जीने का दम,
जिसे हो ज़रूरत उसे लगा मरहम,
फिर होकर खुद में गुम, सोच कि तू क्या है।
हर दिन की सहर में सोच कि तू क्या है,
हर शाम की शब में सोच कि तू क्या है,
जोश से आगे बढ़ता चल और सोच कि तू क्या है,
जिंदगानी के हर पल में सोच कि तू क्या है,
बस रहमत है उस खुदा कि वरना तू क्या है।
Monday, September 6, 2021
तलाश
हर नदी तलाश रही है अपना समंदर,
हर दीवाने को तलाश है एक दिल की,
तलाश में जो बेचैनी है न,
उसको भी तलाश है, तलाश खत्म होने की,
किसी न किसी तलाश में सभी गुम हैं,
सफर भी, मुकाम भी, इंतजार भी, मंजिल भी,
खुशी की, साथ की, प्यार की,
किसी को तारुफ़ की है तलाश,
तो कोई तकदीर की तस्वीर में खुद को रहा तलाश।
तो किसी की ख्वाहिश है, तारीखों में तलाशा जाए,
बस हो कुछ यूं कि हर तलाश जिंदगी के और करीब लाए,
हर तलाश के बाद हम खुद को ज्यादा जान पाएं।
Friday, August 13, 2021
आज़ादी
Monday, July 26, 2021
आखरी पन्ना
इस बात पर मुझे कम ही यकीन होता है,
ये तो मोहब्बतों का मौसम है,
फिर भी न जाने क्यों इस मौसम में, मेरा दिल रोता है,
हर इच्छा, हर चाह को दबाना सीख गई हूं,
बारिश देख मुस्कुराना सीख गई हूं,
नम हुईं आंखों में भरे पानी को,
बारिश के साथ बहाना सीख गई हूं,
खुद को कोस-कोस कर परेशान हूं,
अपने प्यार करने से हैरान हूं,
पलकों के बांध अब आंसुओं को रोक नहीं पाते,
खुद से किए वो वादे अब दिल हैं दुखाते,
डर लगता है मुझे, बात वो कभी जुंबा पर न आ जाए,
बनी बनाई जिंदगी पर कहर न ढा जाए।
कई लोग कहते हैं,
दोस्ती प्यार है, लेकिन उस इश्क का क्या करें
जो खुद से बेज़ार है,
सोचती हूं मैं, ये कैसी चाहत है, कैसे जज़्बात हैं,
मेरी हर सोच से परे, कभी-कभी ये खुद से शर्मसार हैं,
फिर सोचती हूं क्यों, इसमें शर्म की क्या बात है,
एक अच्छे दोस्त की हर किसी को दरकार है,
वो दोस्त जो रोने पर गले से लगा ले,
वो दोस्त जो बातों बातों में हंसा दे,
वो दोस्त जो अपनी सोच में जगह दे,
वो दोस्त जो जज़्बात को जज़्बातों से समझे,
मैं नहीं कहूंगी कि ऐसे दोस्त होते नहीं लेकिन,
ये दोस्ती खुशकिस्मतों को नसीब होती है शायद।
मतलब के हैं दोस्त और मतलबी जमाना है,
मैं मानती हूं कि यूं ही नहीं किसी ने साथ निभाना है,
मैं जानती हूं काम निकल जाने के बाद,
सब कुछ बदल जाना है,
अपनी औकात खुद ही बनानी है,
अपना दर्द खुद ही मुकाना है,
फिर न जाने क्यों मेरे इन आंसुओं
को ठिकाने की तलाश है,
दोस्ती और इश्क के फसाने की आस है,
इस आस पर कब तक रहूंगी जिंदा मैं,
मुझे अब जिंदगी के आखरी पन्ने का इंतजार है।
Tuesday, July 20, 2021
आंखों की नमी
फिर हुईं आखें नम और प्यार याद आया,
दिल में छुपा के रखा, वो ख्याल याद आया,
इस दहलींज़ पर, अकेला, मेरा इंतजार है,
मेरे प्यार को वहां से गुजरना भी नगवार है,
फिर भी न जाने क्यों वो शक्स बार बार याद आया.
बुनता है बेहिसाब जज़बातों की चादर ये दिल,
फिर जार जार रोता है ये दिल,
हुईं आखें नम और प्यार याद आया,
दिल में छुपा, वो इज़हार याद आया।
अपने इश्क की सर ज़मीन तुमको मान लिया,
अपनी हंसी, अपनी कमी तुमको जान लिया,
हां, हमारे रास्ते अलग हैं ये भी पहचान लिया।
बस प्यार से चलती कहां है ये दुनिया,
सिर्फ एहसासों से पिघलती कहां है ये दुनिया,
चाहत के रास्तों पर हम ग़म से मयस्सर हैं,
कोई हमसे भी टूट कर करे प्यार ,
ये ख्वाब हमारा, अरमानों के सर है।
फिर हुईं आखें नम और दिल को समझाया,
जिंदगी के इस पड़ाव पर कोई नहीं है तेरा हमसाया।
Friday, July 9, 2021
ऐसा क्यों होता है
ऐसा क्यों होता है? वो आस पास है,
फिर भी बहुत याद आता है।
ऐसा क्यों होता है? बात होती है, फिर भी
खामोशी में कुछ दबा रहता है।
ऐसा क्यों होता है? हर पल कुछ अधूरा सा
लगता है।
ऐसा क्यों होता है? उसके रंग हमारे लिए नहीं है,
ये एहसास घेर जाता है।
ऐसा क्यों होता है? ये प्यार सही ग़लत के दायरों में क्यों बंध जाता है?
मुस्कुराहट, दो शब्द, कुछ पल और उसकी नज़रे इनायत,
कुछ ज्यादा तो नहीं मांग रहे, फिर भी ऐसा क्यों होता है,
सूफी सा ये प्यार कुछ मांगता नहीं, जिससे भी होता है ये उसे बांधता नहीं,
फिर भी ऐसा क्यों होता है?
ऐसे प्यार को समझना इतना मुशकिल क्यों होता है?
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कभी कच्चे कभी पक्के रास्तों पर चली, एक दो ठोकर लगी, एक आद बार दिल भी टूटा, दिन में चमकते सूरज से लड़ी, रात में चांद की ठंडक में बही, कभी...
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समय हर पल समान नहीं होता, खुद पर यकीन का सफर आसान नहीं होता, कई लम्हें ऐसे आएंगे ज़िंदगी में, जिनका कोई मुकाम नहीं होता, यकीन उनपर करो जिन...