Friday, August 13, 2021

आज़ादी


देश तो आज़ाद है मेरा..
लेकिन क्या होती है आज़ादी? 
क्या आज़ाद है देश का नौजवां?  
क्या आज़ाद है देश की बेटियां? 
क्या आज़ाद हैं हमारे सोच विचार? 
सोचिए तो ऐ- जनाब आखिर कितना आज़ाद 
है हिन्दोस्तान? 

संविधान पर अपने गर्व है मुझको, 
लेकिन क्या वाकई है "धर्म" की आज़ादी?  
कानून तो सारे हैं यहां, 
लेकिन क्या है बोलने की आज़ादी,  
हक मुझे हैं सब यहां, 
पर क्या मिल पाई है जात से आज़ादी? 
देश तो आज़ाद है मेरा, 
लेकिन कहां है असली आज़ादी?

स्कूल तो गली गली में हैं, 
लेकिन क्या सबको मिल रही है,  
पढ़ने की आज़ादी?
भुखमरी से आज़ाद नहीं हम, 
न है ग़रीबी से आज़ादी, 
सोच में जकड़ी आज़ादी, 
न्याय में जकड़ी आज़ादी,
बल में जकड़ी आज़ादी,  
देश तो आज़ाद है मेरा, 
लेकिन क्या है असली आज़ादी? 

कभी संस्कारों, कभी रिवाजों, 
कभी रिवायतों की भेंट चढ़ती है आज़ादी, 
कहीं बंधनों, कहीं जिम्मेदारियों के दायरों
में सिमटती रही है आज़ादी, 
कभी सोच, कभी ग़म, कभी प्यार में भी 
बंध रही है आज़ादी, 
देश तो आज़ाद है मेरा, 
लेकिन क्या होती है आज़ादी? 

 
 

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