चेहरों पर चेहरे हैं, शायद इसलिए ये लोग बड़े ही गहरे हैं,
परतों में जीते हैं, जुमलों में कहते हैं,
क्या कह जाते हैं, शायद खुद भी नहीं समझ पाते हैं,
उसकी खोज में निकलो, ये ज्ञान तो वो देते हैं,
लेकिन खुद भीड़ में गुम हो जाते हैं।
इसी भीड़ को बहकाते हैं, भड़काते हैं,
फिर भीड़ को गाने भी सुनाते हैं,
अपना सारा confusion भीड़ में फैलाते हैं,
चेहरे पर चेहरे हैं, शायद इसलिए ये लोग बड़े ही गहरे हैं.
आंखों की काली पट्टी का धंधा है इनका,
गुम हुए इनसानों को कुएं में धकेलते जाते हैं,
अपनी कला को उसकी लीला से ज्यादा मान बैठे हैं,
मंच पर चढ़े रहते हैं, कुविचारों पर अड़े रहते हैं,
भ्रम फैला रहे हैं, खुद को गुरू मनवा रहे हैं,
अपनी पूजा भी करवा रहे हैं,
परतों में जीते हैं, जुमलों में कहते हैं,
चेहरों पर चेहरे हैं, इसलिए ये लोग बड़े ही गहरे हैं.
सही गलत की परिभाषा देते हैं,
अच्छे बुरे का भेद बताते हैं,
खुद में लेकिन झांकना भूल जाते हैं,
कोई सिद्धि नहीं है, लेकिन प्रसिद्धि चाहते हैं,
लोगों के डर पर अपना हर पासा खेल जाते हैं,
ज्ञानी अज्ञानी सब इनके बहकावे में आते हैं,
इसी बल को ये अपना आधार बनाते हैं,
चेहरों पर चेहरे हैं इनके, इनकी गहराई भी मिथ्या है,
जागो इनको सुनने वालों, इनका नाम न बांचो तुम,
अपने अंतर को पहचानों, इनका राग न आलापो तुम.