Tuesday, June 29, 2021

ये कैसा इश्क


धड़कनो का तेज़ होना पहली बार जाना है, 

इंतज़ार की इंतहां को पहली बार पहचाना है,

मन कुछ इस तरह से हारा है, 

न जाने किस मुशकिल की ओर इशारा है, 


तुम्हारी खुशबू  हर तरफ से आ रही है, 

मेरी मौजूदगी तुम्हारा अक्स चाह रही है, 

तुम्हारे आसपास होने से, अपने वजूद का एहसास होता है, 

अब धीरे धीरे खुद से प्यार हो रहा है।  

बात शादय न हो कुछ खास करने को,  

तेरा सामने बैठना ही बहुत है सांस भरने को, 

आखों को तेरी आदत सी हो गई है,  

मेरी राहों को तुम्हारी चाहत सी हो गई है,  

कहां ले जाएगा ये दिल न जाने, 

मीठी सी उलझन की आहट सी हो गई है, 


तुम खुश हो तो खुश रहता है मन, 

तुम्हें उदास देख, डूबती है हर धड़कन, 

जुंबा पर कभी नहीं आएगा ये ऐसा इश्क है, 

पन्नों में दबा रह जाएगा ये ऐसा इश्क है, 

खुद से पूछते हैं हम ये कैसा इश्क है? 

दुआ बन जाएगा ये ऐसा इश्क है।

Saturday, June 19, 2021

आंसू

मुझसे इन आंसुओं कि वजह न पूछो,

ये बिना इजाज़त ही छलक जाते हैं, 

तुम्हारे साथ होने पर भी तुम्से दूर होने का गम मनाते हैं, 

इनको रोकती हूं, समझाती हूं, 

लेकिन मन से बार बार हर जाती हूं, 

जानती हूं, न ये फासलों को 

मिटा पाएंगे, न जिंदगी की कशमकश को 

सुलझा पाएंगें, बस बहते जाएंगे। 


मुझसे इन आंसुओं कि वजह न पूछो, 

ये मेरे दिल की जुबां भी न बन पाएंगे, 

गलत, सही की समझ नहीं है इन्हें, 

ये मेरे हाल पर बस तरस खाएंगे, 

ये आंसू मेरे बस बहते जाएंगे, 

खुशी में मेरे दिल का साथ निभाएंगे, 

तुमहारे साथ होने के, हर पल को ये मनाएंगे। 

 

मुझसे इन आंसुओं कि वजह न पूछो, 

तुमने जो एहसास जगाएं हैं ये उनको जी रहे हैं, 

दिल की हर धड़कन के साथ ये दुआ दे रहे हैं,  

सिर्फ आंखों से छलका पानी नहीं हैं ये,  

तुम्हें बुलंद परवाज़ देखने के जज़्बात हैं, 

मुझसे मेरे आंसुओं की वजह न पूछो......

 




एहसास


ज़िन्दगी के रास्ते में एक एहसास मिला, 

एहसास जो बेहद अपना सा लगा, 

इसे अपना ले ये मन ने कहा,  

बिना किसी बंधन में न बांधे, 

वो एहसास पल पल में उतरने लगा। 


पाकीज़ा सी दोस्ती का एहसास, 

बचपन की मासूमियत है इसमें,

जवानी का अल्हड़पन,  

जूनून नहीं कोई, एक शांत सा समंदर,

इसे कोई नाम कैसे दे दूं, 

इसे किसी सोच से कैसे बांध दूं,

एक एहसास है ये, डूबने के लिए खास है ये,  


इस एहसास से जब राब्ता हुआ, 

खुद पर फिर से यकीन हुआ,

नहीं जानती ये क्यों हुआ, 

सही हुआ या गलत हुआ, 

अब जो हुआ सो हुआ। 


देख कर उसे आंखों को सूकून मिलता है, 

कुछ उसकी सुनने, कुछ अपनी कहने का जी करता है,

कभी बस साथ गुनगुनाने का जी करता है,

समाज की सभी बंदिशों से परे,

सब कुछ भूल जाने का जी करता है,

एहसास का रूप होता है ये जाना नहीं था,

जब मुलाकात हुई तो कुछ देर तक माना नहीं था,

लेकिन इस एहसास ने जिंदगी को ऐसे छुआ, 

धड़कने का एहसास फिर दिल को हुआ।