Wednesday, August 28, 2019

मौहब्बत

मैं क्या कहूं, मैं क्या सुनाऊं, मौहब्बत के आगे मैं खो सा जाऊं

तेरी आखों में खुद को ढूंढू, तेरी बातों में जिक्र चाहूं
तेरे ख्यालों में रहना चाहूं, तुझे ख्यालों में रखना चाहूं,
कैसी ये बेखुदी है, जितना तेरे करीब आऊं, उतना खुद से मैं दूर जाऊं।

मैं क्या कहूं मैं क्या सुनाऊं, मौहब्बत के आगे मैं खो जाऊं

इशक के ये इम्तेहां हैं, अजियतों के दरमियां हैं,
दूर हो तुम, दूर हम हैं, साथ आने की वजह कम हैं,
तेरे बिना ये आंख नम है, पर तुझको पाने की चाह कम है,

मैं क्या कहूं मैं क्या सुनाऊं, मौहब्बत के आगे मैं खो जाऊं

दिल हर पल चाहे तेरी खुशी, तू बढ़े आगे है दुआ यही,
तेरी चमक में भीग जाऊं, तेरे सुर से सुर मिलाऊं,
कहां ये दुनिया, कहां ये लोग, कहेंगे क्या ये भूल जाऊं

मैं क्या कहूं मैं क्या सुनाऊं, मौहब्बत के आगे मैं खो जाऊं

Saturday, August 3, 2019

एक

एक जीवन, एक शब्द, एक आशा, कई इच्छाएं,
कुछ उम्मीदें, एक जिंदगी, कई लकीरें, एक विश्वास,
एक मोहब्बत, एक जान, कुछ सांसें, कई मौतें,
एक मौसम, कई बारिशें, कुछ आंसू,
एक दिल, कुछ उलझने, कई जवाब,
एक मंजिल, कुछ दरया, कई रास्ते
एक दोस्त, कुछ साथी, कई किस्से, कुछ कहानियां,
एक मन, कुछ एहसास लेकिन अपना क्या है.......
कुछ भी नहीं !

मन

रूई के फाहों सा उड़ता ये मन,
ठंडी हवा के झोंकों से छिड़ता ये मन,
सुरज की लाली सा जगमगाता ये मन,
मन नहीं मानो राग है कोई,
धरती के सुरों से अनुराग है कोई,
चंचल है, बेचैन नहीं, समय के सितम पर मुस्कुराता ये मन,
कभी किसी की चाह में मदहोश ये मन,
फिर जिंदगी की राह में बेहोश ये मन,
कभी रास्ते से भटकाता है, ये मन,
कभी मंजिलों तक पहुंचाता है, ये मन,
आशाओं के मोतियों को छुपाए, चुप चाप बैठा ये मन,
हर रात को नए ख्वाबों से सजाए ये मन,
हर सुबह की रंगत में इतराए ये मन,
इसे काबू में रखने को कहती है दुनिया,
दुनिया की इस सलाह को ठुकराए ये मन!