धड़कनो का तेज़ होना पहली बार जाना है,
इंतज़ार की इंतहां को पहली बार पहचाना है,
मन कुछ इस तरह से हारा है,
न जाने किस मुशकिल की ओर इशारा है,
तुम्हारी खुशबू हर तरफ से आ रही है,
मेरी मौजूदगी तुम्हारा अक्स चाह रही है,
तुम्हारे आसपास होने से, अपने वजूद का एहसास होता है,
अब धीरे धीरे खुद से प्यार हो रहा है।
बात शादय न हो कुछ खास करने को,
तेरा सामने बैठना ही बहुत है सांस भरने को,
आखों को तेरी आदत सी हो गई है,
मेरी राहों को तुम्हारी चाहत सी हो गई है,
कहां ले जाएगा ये दिल न जाने,
मीठी सी उलझन की आहट सी हो गई है,
तुम खुश हो तो खुश रहता है मन,
तुम्हें उदास देख, डूबती है हर धड़कन,
जुंबा पर कभी नहीं आएगा ये ऐसा इश्क है,
पन्नों में दबा रह जाएगा ये ऐसा इश्क है,
खुद से पूछते हैं हम ये कैसा इश्क है?
दुआ बन जाएगा ये ऐसा इश्क है।
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