कई लोग कहते हैं,
आसमां से पानी प्यार की तरह बरसता है,
इस बात पर मुझे कम ही यकीन होता है,
ये तो मोहब्बतों का मौसम है,
फिर भी न जाने क्यों इस मौसम में, मेरा दिल रोता है,
इस बात पर मुझे कम ही यकीन होता है,
ये तो मोहब्बतों का मौसम है,
फिर भी न जाने क्यों इस मौसम में, मेरा दिल रोता है,
एक खलिश सी है रुबरू,
हर इच्छा, हर चाह को दबाना सीख गई हूँ,
बारिश देख मुस्कुराना सीख गई हूँ,
नम हुईं आंखों में भरे पानी को,
बारिश के साथ बहाना सीख गई हूँ,
खुद को कोस-कोस कर परेशान हूँ,
अपने प्यार करने से हैरान हूँ,
पलकों के बांध अब आंसुओं को रोक नहीं पाते,
खुद से किए वो वादे अब दिल हैं दुखाते,
डर लगता है मुझे, बात वो कभी ज़ुबां पर न आ जाए,
बनी बनाई जिंदगी पर कहर न ढा जाए।
कई लोग कहते हैं,
दोस्ती प्यार है, लेकिन उस इश्क का क्या करें
जो खुद से बेज़ार है,
सोचती हूं मैं, ये कैसी चाहत है, कैसे जज़्बात हैं,
मेरी हर सोच से परे, कभी-कभी ये खुद से शर्मसार हैं,
फिर सोचती हूं क्यों, इसमें शर्म की क्या बात है,
एक अच्छे दोस्त की हर किसी को दरकार है,
वो दोस्त जो रोने पर गले से लगा ले,
वो दोस्त जो बातों बातों में हंसा दे,
वो दोस्त जो अपनी सोच में जगह दे,
वो दोस्त जो जज़्बात को जज़्बातों से समझे,
मैं नहीं कहूंगी कि ऐसे दोस्त होते नहीं लेकिन,
ये दोस्ती खुशकिस्मतों को नसीब होती है शायद।
हर इच्छा, हर चाह को दबाना सीख गई हूँ,
बारिश देख मुस्कुराना सीख गई हूँ,
नम हुईं आंखों में भरे पानी को,
बारिश के साथ बहाना सीख गई हूँ,
खुद को कोस-कोस कर परेशान हूँ,
अपने प्यार करने से हैरान हूँ,
पलकों के बांध अब आंसुओं को रोक नहीं पाते,
खुद से किए वो वादे अब दिल हैं दुखाते,
डर लगता है मुझे, बात वो कभी ज़ुबां पर न आ जाए,
बनी बनाई जिंदगी पर कहर न ढा जाए।
कई लोग कहते हैं,
दोस्ती प्यार है, लेकिन उस इश्क का क्या करें
जो खुद से बेज़ार है,
सोचती हूं मैं, ये कैसी चाहत है, कैसे जज़्बात हैं,
मेरी हर सोच से परे, कभी-कभी ये खुद से शर्मसार हैं,
फिर सोचती हूं क्यों, इसमें शर्म की क्या बात है,
एक अच्छे दोस्त की हर किसी को दरकार है,
वो दोस्त जो रोने पर गले से लगा ले,
वो दोस्त जो बातों बातों में हंसा दे,
वो दोस्त जो अपनी सोच में जगह दे,
वो दोस्त जो जज़्बात को जज़्बातों से समझे,
मैं नहीं कहूंगी कि ऐसे दोस्त होते नहीं लेकिन,
ये दोस्ती खुशकिस्मतों को नसीब होती है शायद।
कई लोग कहते हैं,
मतलब के हैं दोस्त और मतलबी जमाना है,
मैं मानती हूं कि यूं ही नहीं किसी ने साथ निभाना है,
मैं जानती हूं काम निकल जाने के बाद,
सब कुछ बदल जाना है,
अपनी औकात खुद ही बनानी है,
अपना दर्द खुद ही मुकाना है,
फिर न जाने क्यों मेरे इन आंसुओं
को ठिकाने की तलाश है,
दोस्ती और इश्क के फसाने की आस है,
इस आस पर कब तक रहूंगी जिंदा मैं,
मुझे अब जिंदगी के आखरी पन्ने का इंतजार है।
मतलब के हैं दोस्त और मतलबी जमाना है,
मैं मानती हूं कि यूं ही नहीं किसी ने साथ निभाना है,
मैं जानती हूं काम निकल जाने के बाद,
सब कुछ बदल जाना है,
अपनी औकात खुद ही बनानी है,
अपना दर्द खुद ही मुकाना है,
फिर न जाने क्यों मेरे इन आंसुओं
को ठिकाने की तलाश है,
दोस्ती और इश्क के फसाने की आस है,
इस आस पर कब तक रहूंगी जिंदा मैं,
मुझे अब जिंदगी के आखरी पन्ने का इंतजार है।
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