Monday, July 26, 2021

आखरी पन्ना

कई लोग कहते हैं, 
आसमां से पानी प्यार की तरह बरसता है,
इस बात पर मुझे कम ही यकीन होता है, 
ये तो मोहब्बतों का मौसम है, 
फिर भी न जाने क्यों इस मौसम में, मेरा दिल रोता है,

एक खलिश सी है रुबरू, 
हर इच्छा, हर चाह को दबाना सीख गई हूँ, 
बारिश देख मुस्कुराना सीख गई हूँ, 
नम हुईं आंखों में भरे पानी को, 
बारिश के साथ बहाना सीख गई हूँ, 
खुद को कोस-कोस कर परेशान हूँ, 
अपने प्यार करने से हैरान हूँ,
पलकों के बांध अब आंसुओं को रोक नहीं पाते, 
खुद से किए वो वादे अब दिल हैं दुखाते, 
डर लगता है मुझे, बात वो कभी ज़ुबां पर न आ जाए, 
बनी बनाई जिंदगी पर कहर न ढा जाए। 
 
कई लोग कहते हैं, 
दोस्ती प्यार है, लेकिन उस इश्क का क्या करें 
जो खुद से बेज़ार है, 
सोचती हूं मैं,  ये कैसी चाहत है, कैसे जज़्बात हैं,
मेरी हर सोच से परे, कभी-कभी ये खुद से शर्मसार हैं, 
फिर सोचती हूं क्यों, इसमें शर्म की क्या बात है, 
एक अच्छे दोस्त की हर किसी को दरकार है, 
वो दोस्त जो रोने पर गले से लगा ले, 
वो दोस्त जो बातों बातों में हंसा दे, 
वो दोस्त जो अपनी सोच में जगह दे, 
वो दोस्त जो जज़्बात को जज़्बातों से समझे, 
मैं नहीं कहूंगी कि ऐसे दोस्त होते नहीं लेकिन,
ये दोस्ती खुशकिस्मतों को नसीब होती है शायद। 

कई लोग कहते हैं, 
मतलब के हैं दोस्त और मतलबी जमाना है,  
मैं मानती हूं कि यूं ही नहीं किसी ने साथ निभाना है, 
मैं जानती हूं काम निकल जाने के बाद, 
सब कुछ बदल जाना है, 
अपनी औकात खुद ही बनानी है, 
अपना दर्द खुद ही मुकाना है, 
फिर न जाने क्यों मेरे इन आंसुओं 
को ठिकाने की तलाश है, 
दोस्ती और इश्क के फसाने की आस है,
इस आस पर कब तक रहूंगी जिंदा मैं, 
मुझे अब जिंदगी के आखरी पन्ने का इंतजार है।  

Tuesday, July 20, 2021

आंखों की नमी


फिर हुईं आखें नम और प्यार याद आया,

दिल में छुपा के रखा, वो ख्याल याद आया,

इस दहलींज़ पर, अकेला, मेरा इंतजार है, 

मेरे प्यार को वहां से गुजरना भी नगवार है, 

फिर भी न जाने क्यों वो शक्स बार बार याद आया.   

बुनता है बेहिसाब जज़बातों की चादर ये दिल,

फिर जार जार रोता है ये दिल,

हुईं आखें नम और प्यार याद आया,

दिल में छुपा, वो इज़हार याद आया। 


अपने इश्क की सर ज़मीन तुमको मान लिया, 

अपनी हंसी, अपनी कमी तुमको जान लिया,

हां, हमारे रास्ते अलग हैं ये भी पहचान लिया। 

बस प्यार से चलती कहां है ये दुनिया, 

सिर्फ एहसासों से पिघलती कहां है ये दुनिया, 

चाहत के रास्तों पर हम ग़म से मयस्सर हैं, 

कोई हमसे भी टूट कर करे प्यार , 

ये ख्वाब हमारा, अरमानों के सर है।

फिर हुईं आखें नम और दिल को समझाया,

जिंदगी के इस पड़ाव पर कोई नहीं है तेरा हमसाया।    

 

Friday, July 9, 2021

ऐसा क्यों होता है


ऐसा क्यों होता है? वो आस पास है, 

फिर भी बहुत याद आता है।

ऐसा क्यों होता है? बात होती है, फिर भी 

खामोशी में कुछ दबा रहता है। 

ऐसा क्यों होता है? हर पल कुछ अधूरा सा 

लगता है।  

ऐसा क्यों होता है? उसके रंग हमारे लिए नहीं है,

ये एहसास घेर जाता है। 

ऐसा क्यों होता है?  ये प्यार सही ग़लत के दायरों में क्यों बंध जाता है? 

मुस्कुराहट, दो शब्द, कुछ पल और उसकी नज़रे इनायत,

कुछ ज्यादा तो नहीं मांग रहे, फिर भी ऐसा क्यों होता है,  

सूफी सा ये प्यार कुछ मांगता नहीं, जिससे भी होता है ये उसे बांधता नहीं, 

फिर भी ऐसा क्यों होता है? 

ऐसे प्यार को समझना इतना मुशकिल क्यों होता है? 



Monday, July 5, 2021

सफर खूबसूरत है, मंजल से भी


दिल के बंद दरवाज़े किर किरा कर खुले,

जिंदगी की तंग राहों पर कुछ फूल खिले,  

इश्क, प्यार और मोहब्बत की बातें हम करने लगे, 

कुछ साथ ऐसे मिले, जो नई उमंग जगा गए। 


अजनबी शहर, नए अंदाज़, कुछ भीगे अलफाज़

सुनसान राहों में वो गाने गुनगुनाने की आवाज़, 

कभी बारिश, कभी सुहानी हवा का चहरे पर वो एहसास, 

रास्ते में कभी ढेरों बातें, तो कभी बस सवाल एक आद,  

वो शहर घूमने घूमाने का जवां सा अंदाज़, 

बेतकलुफी से पार कर गया दिल के दरों दीवार। 


मैं सोचती थी, मुझमें जो इशक है उससे दिल-ए-ज़ार न होगा,  

प्यार जो ज़हन की गलियों में खोया है उसपर गौर न होगा,  

लेकिन, जिंदगी की डोर हमारे हाथ में नहीं, 

इस सफर की भोर हमारे हाथ में नहीं, 

तो अब कोई इश्तियाक, कोई इलतजा नहीं,  

इस खूबसूरत सफर को किसी मंजिल की चाह नहीं ।  



यकीन का सफर

समय हर पल समान नहीं होता,  

खुद पर यकीन का सफर आसान नहीं होता,

कई लम्हें ऐसे आएंगे ज़िंदगी में, जिनका कोई मुकाम नहीं होता,

यकीन उनपर करो जिन्हें तुम पर भरोसा है, 

भरोसा ख़ुद पर करो, ताकत बनता है, 

सफर ज़िंदगी का तभी तो जहां- नुमा बनता है। 


तैयार रहो पग-पग पर जंग होगी, 

यकीन के सफर की हर राह तंग होगी, 

रिश्तों के भंवर पैरों को जकड़ेंगे, 

समाज के कायदे हर कदम को पकड़ेंगे, 

ऐतबार बस खुद पर करना तुम, 

प्यार पहले खुद से करना तुम, 

सूफी भी बनाएगा ये यकीन का सफर, 

परवाज़ बन कर बेझिझक बढ़ना तुम।  


जो साथ दें उनपर न्यौछावर होना, 

जो न समझें उनके लिए मत रोना, 

जिंदगी क्या है चंद लम्हों की जागीर है, 

अपनी झोली को यादों से भरना, 

गम न करना किसी के बिछड़ने का, 

हर कोई लेकर आता है समय गिनती का, 

खुद के दायरों से हमें खुद ही है जीतना  

तभी तो बनेगा सफर यकीन का।