Monday, April 20, 2020

घर


कितनी अजीब जगह है ये घर, 

ये है तो हम नहीं भटकते दर ब दर
कभी पिता, कभी पति का होता है ये मकान,
हम खुद ही फूंकते हैं इसमें जान, 
रंग रोगन से इसे निखारते हैं, 
सजावट से इसे सवारते हैं,
प्यार से सींच कर बनाते हैं ये जहान, 

कितनी अजीब जगह है ये घर 

इसकी आगोश में महफूज़ हैं हम, 
तेज धूप, बारिश और आंधी से दूर हैं हम, 
हर मुशकिल में सर पर होती है ये छत, 
हर तीज त्यौहरा पर इसमें लगती है रौनक, 

कितनी अजीब जगह है ये घर

मेरा नहीं फिर भी अपना सा लगता है, 
कभी कभी तो ये सब सपना सा लगता है, 
जानती हूं, लड़कियों के खुद के घर नहीं हुआ करते,
बंधनो में बंधे ये दरों दिवार इनके सगे नहीं हुआ करते,  

कौन सा घर किसका है, ये पहचानती हूं, 
अपने हक की सीमा को जानती हूं, 
कहने को सब कुछ इसमें मेरा है, 
फिर भी मेरा कुछ नहीं, 
सच है ये की लड़की का खुद का कोई घर नहीं.

एक घर में पैदा हुए, लेकिन वहां मरने का हक नहीं, 
दूसरे से मर कर निकलेंगे पर वहां जीने के हक में है कमी, 
तभी तो कभी कभी 
ये घर नहीं, जगह लगती है, 
अजीब सी यहां की फिज़ा लगती है, 

कितनी अजीब जगह है ये घर





  



Monday, April 13, 2020

नीला स्कूटर

मेरा नीला स्कूटर!
हर मंजिल तय करेंगे इसपर बैठ, ये सोच लिया था,
पुरी दिल्ली को इसपर नाप कर हमने देख लिया था,
मां अक्सर कहती, क्यों लड़कों की तरह तुम हो उड़ती रहती,
फिर जब उसको बाजार की सैर कराती तो वो भी बड़ा इतराती,

सर्द हवा के झोंके मेरी गर्दन को छूकर निकलते थे,
राहों में खिले फूल मुझसे गुफ्तगू किया करते थे,
सुबह की लाली हो, ढलती शाम या फिर गहराती रात
मेरा नीला स्कूटर हर पल था मेरे साथ,

कभी हमने साथ गिरतों को सड़क से उठाया,
कभी मवालियों को चकमा देकर इसने सलामत घर पहुंचाया,
नाईट शिफ्ट से घर जाते वक्त जब सिगनल पर लगी आंख,
तब भी इसने हमें नहीं गिराया, न कहीं ठुके, न बजे,
बस नीले स्कूटर पर सवार होकर लेते रहे जिंदगी के मजे।

कई बार लबें सफर के बाद, इसी पर बैठ कर किया इंतजार,
बेझिझक और बिनदास होना भी हमें इसके साथ से ही आया,
अजीब सी आजादी थी, बेख़ॉफ था आलम, मुतमईन थे हम,
ये उन दिनों की बात है जब नीले स्कूटर पर सवार फिरा करते थे हम।

फिर एक दिन कुछ यूं हुआ, दूसरे शहर में interview हुआ,
नौकरी बदली, ठिकाना बदला,
नीले स्कूटर को लेकर मां का इरादा बदला, 
बोलीं स्कूटर यहीं रहने दो, तुम जाऔ,
माया नगरी में जाकर अपने पांव जमाऔ,
स्कूटर का क्या है भाई चला लेगा,
वो भी थोड़े दिन नीले स्कूटर का मजा ले लेगा,
भाई ने एक बार नहीं दो दो बार उसे ठोका,
खुद की भी लात तोड़ी, उसको भी दिया दोखा,
बस फिर क्या था, सबकी आखों में खटकने लगा मेरा नीला स्कूटर,
ये गया, वो गया बिक गया मेरा नीला स्कूटर।