मैं क्या कहूं, मैं क्या सुनाऊं, मौहब्बत के आगे मैं खो सा जाऊं
तेरी आखों में खुद को ढूंढू, तेरी बातों में जिक्र चाहूं
तेरे ख्यालों में रहना चाहूं, तुझे ख्यालों में रखना चाहूं,
कैसी ये बेखुदी है, जितना तेरे करीब आऊं, उतना खुद से मैं दूर जाऊं।
मैं क्या कहूं मैं क्या सुनाऊं, मौहब्बत के आगे मैं खो जाऊं
इशक के ये इम्तेहां हैं, अजियतों के दरमियां हैं,
दूर हो तुम, दूर हम हैं, साथ आने की वजह कम हैं,
तेरे बिना ये आंख नम है, पर तुझको पाने की चाह कम है,
मैं क्या कहूं मैं क्या सुनाऊं, मौहब्बत के आगे मैं खो जाऊं
दिल हर पल चाहे तेरी खुशी, तू बढ़े आगे है दुआ यही,
तेरी चमक में भीग जाऊं, तेरे सुर से सुर मिलाऊं,
कहां ये दुनिया, कहां ये लोग, कहेंगे क्या ये भूल जाऊं
मैं क्या कहूं मैं क्या सुनाऊं, मौहब्बत के आगे मैं खो जाऊं
तेरी आखों में खुद को ढूंढू, तेरी बातों में जिक्र चाहूं
तेरे ख्यालों में रहना चाहूं, तुझे ख्यालों में रखना चाहूं,
कैसी ये बेखुदी है, जितना तेरे करीब आऊं, उतना खुद से मैं दूर जाऊं।
मैं क्या कहूं मैं क्या सुनाऊं, मौहब्बत के आगे मैं खो जाऊं
इशक के ये इम्तेहां हैं, अजियतों के दरमियां हैं,
दूर हो तुम, दूर हम हैं, साथ आने की वजह कम हैं,
तेरे बिना ये आंख नम है, पर तुझको पाने की चाह कम है,
मैं क्या कहूं मैं क्या सुनाऊं, मौहब्बत के आगे मैं खो जाऊं
दिल हर पल चाहे तेरी खुशी, तू बढ़े आगे है दुआ यही,
तेरी चमक में भीग जाऊं, तेरे सुर से सुर मिलाऊं,
कहां ये दुनिया, कहां ये लोग, कहेंगे क्या ये भूल जाऊं
मैं क्या कहूं मैं क्या सुनाऊं, मौहब्बत के आगे मैं खो जाऊं
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