Saturday, July 27, 2019

साया

रात का धूंआ था वो,
भूला सा इक लमहा था वो,
राह में था गिर गया,
धूल में था जा मिला,
कल मिला वो ख्वाब में,
सो रहा था जब जग सारा,
आखों में था भर आया,
कुछ कतरे आंसू के भी साथ लाया,
भूल गई थी मैं उसे, जिसे कभी था इतना चाहा,
कल मिला जो ख्वाब में , वो था मेरा ही साया। 

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