Sunday, September 26, 2021

तू क्या है?

हर बात से पहले सोच कि तू क्या है,

हर ख्वाब से पहले सोच कि तू क्या है, 

अहल-ए-जहां में कई दावेदार आए गए, 

हर गुजारिश से पहले सोच कि तू क्या है।


लम्हें में गुम होना आसान है, 

खुद से रूठना भी मुमकिन है, 

लेकिन क्या खुद को पहचानने के लिए तू परेशान है? 

हर कदम से पहले सोच कि तू क्या है, 

हर कथन से पहले सोच कि तू क्या है।


ये जिंदगी मौके कई देगी तुझको, 
इन मौकों को भुना और सोच कि तू क्या है,
खुद को रोज दे नई चुनौतियां, 
हर चुनौती को पार कर सोच कि तू क्या है, 

न होना बदगुमान, खुद से रहना तू बहम, 
ऐसा कर मन कि उसमें रह न पाए कोई ग़म, 
हर पल में जान तू जीने का दम, 
जिसे हो ज़रूरत उसे लगा मरहम, 
फिर होकर खुद में गुम, सोच कि तू क्या है। 

हर दिन की सहर में सोच कि तू क्या है, 
हर शाम की शब में सोच कि तू क्या है, 
जोश से आगे बढ़ता चल और सोच कि तू क्या है, 
जिंदगानी के हर पल में सोच कि तू क्या है, 
बस रहमत है उस खुदा कि वरना तू क्या है।

1 comment:

  1. हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है, तुम्हीं कहो कि ये अंदाजे गुफ्तुगू क्या है

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