लमहा लमहा ज़िन्दगी कट रही है
घटनाएं कुछ ऐसी घट रही हैं
पल में राजा पल में रंक
किसे पता कब किसका हो अंत
झगड़े रोज़ हो रहे हैं ,
रात दिन सब रो रहे हैं ,
मासूम है ये ज़िन्दगी, क्यों छिन गई इसकी हंसी ,
किसे पता ये क्यों हुआ,
किसने किया, इसने किया या उसने किया,
देश का रंग यूं भंग हुआ,
नफरत की इमारतों पर झंडे गढ़ रहे हैं,
प्यार चीख चीख कर अपने होने का एहसास दिला रहा है,
सूबह की हवा में अजीब सी मायूसी है
शाम तक ये हो जाती बदहवासी है,
अब, खुद से पूछना जरूरी है ये सवाल,
ये क्यूं हो रहा है, इनसान इंसानियत को खो रहा है
लेकिन फिर भी, सब ज्यों का त्यों हो रहा है।
लमहा लमहा ज़िन्दगी काट रही है ,
किसने किया, इसने किया या उसने किया,
देश का रंग यूं भंग हुआ,
नफरत की इमारतों पर झंडे गढ़ रहे हैं,
प्यार चीख चीख कर अपने होने का एहसास दिला रहा है,
सूबह की हवा में अजीब सी मायूसी है
शाम तक ये हो जाती बदहवासी है,
अब, खुद से पूछना जरूरी है ये सवाल,
ये क्यूं हो रहा है, इनसान इंसानियत को खो रहा है
लेकिन फिर भी, सब ज्यों का त्यों हो रहा है।
लमहा लमहा ज़िन्दगी काट रही है ,
घटनाएं यूं घट रही हैं, हर पल नए सवाल खड़े कर रही हैं।
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