Sunday, March 16, 2025

दो चेहरे

 जिंदगी में हर पल कुछ छूट रहा है, 

कुछ हिस्सों में दिल रोज़ टूट रहा है, 

कैसा अजीब शहर है ये, 

यहां हर कोई दो चेहरे लेकर घूम रहा है। 


दिखावे कि इज्ज़त, दिखावे कि दोस्ती, 

झूठा सा लग रहा है हर नया रिश्ता, 

यहां आम है बेवफाई का किस्सा, 

हर पल नए रंग दिखा रहा है जिंदगी का ये हिस्सा। 


रिश्तों की टोह लो तो लगता है पता, 

सत्ता का है खेल कहीं, 

तो कहीं नाम की है इच्छा, 

उम्र छोटी हो, चाहे अनुभव नया,

हर शक्स यहां बस खुद में है रमा।


यहां जिंदगी भाग नहीं रही, 

पर होड़ यहां भी है, 

बेफिक्री कि, दिखावे कि, पैसे कि होड़ 

शायद इसलिए दिखते नहीं लेकिन 

बेहद रूखे लोग यहां भी हैं।  


दुनिया ये काफी अलग है, 

पता नहीं सही है या गलत है, 

आंखें बार बार भर आती हैं, 

कभी दुख तो कभी अफसोस से भीग जाती हैं। 

सुलझाने चले थे जिस जिंदगी को

उसे यहां नए मोड़ पर खड़ा पाया है, 

नए लोगों ने नए सवाल दिए हैं,

जिंदगी को और उलझाया है।

 

राह की तलाश में, खुद को यहां हमने, और गुम पाए है, 

इंसान के हर चहरे को समझने की कवायद अब नहीं करेंगे हम,

सुन लेंगे, देखेंगे लेकिन चुप रहेंगे हम,

भले ही ये रास्ता अब मंजिल तक हमसाया है,